बाकरा गाँव के हीराचन्द वोरा ( जालौर ) ने भी ऐक ओर बाकरा गाँव को की सुन्दर रचना समर्पित पढिये आप भी बाकरा गाँव की ईस रचनाएं को

*बाकरा नगर की पहचान* नगर बाकरा री ख्याति जगत करे बखान, ठिकाना ठाकुर जालम सिंह जी धीर वीर गंभीर समता रा भंडार । न्याय नीति सु जगत में , ठिकाना ने दीनी पहचान, बाकरा नगर रा चोहटे , जैन मंदिर देव विमान। लक्ष्मीजी ,गणेशजी ,हनुमानजी ,ठाकुरजी रा मंदिर शोभे चोहटा मोज़ार, शोभा अतिन्यारी गाँवरी काई काई करूँ बखान। ऊँचा मंदिर शोभता, ध्वजा फरुके आसमान, सुबह शाम आरती झालार री झंकार। शोभा अति न्यारी चोहटारी जाने देवता रो दरबार, शोभा न्यारी बाकरा रि, काई काई करूँ बखान। मोटी पोल महादेव री, बायाशा रो थान, अधिशटायक माँ चामुण्डा, रामा पीर महान। शोभा अति न्यारी गाँव री काई काई करूँ बखान। ऊँचा महेल और मालिया, भवन बनिया विशाल, चोहटा बीच शोभे तीन मंज़िलो चबूतरों गाँव री पहचान, शोभा अति न्यारी गाँव री काई काई करूँ बखान । शांतिनाथजी गौशाला, नाज़ुदेवी पाठशाला वीरभानजी हास्पिटल जल मन्दिर बनया चार शोभा अतिन्यारी गाँव री काई काई करूँ बखान । नगर रा नगरजन सग़लई चतुर सुजान, कई कोई व्यापारी चतुर तो कोई कारीगर महान । पढ़ियाँ लिखियोढा घना गाँवरा कोई डाक्टर तो कोई मास्टर, सेवा दे...