द्वितीय माह पुण्यतिथि
तेरा ख़याल दिल से मिटाया नहीं अभी
बेदर्द मैं ने तुझ को भुलाया नहीं अभी
कल तूने मुस्कुरा के जलाया था ख़ुद जिसे
सीने का वो चराग़ बुझाया नहीं अभी
गर्दन को आज भी तेरे बाहों की याद है
चौखट से तेरी सर को उठाया नहीं अभी
बेहोश होके जल्द तुझे होश आ गया
मैं बदनसीब होश में आया नहीं अभी
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