बाकरा गाँव के मुख्य चोहटे में आप पैदल या फिर दुपहिया वाहन में जा रहे हैं तो पूरी सावधानी रखे, क्योंकि सड़कों पर एक मूक इशारा आपको खबरदार रखेगा कि जरा संभल कर, यहां हमारा राज है। यही हकीकत है की है, जहां पर इस चौहटा और मुख्य मार्ग पर आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है। हालांकि इन मूक पशुओं को आवारा कहना भी उचित नहीं है। इन रास्तों पर घूमने वाली गाय और बछड़े आवारा नहीं है, बल्कि उनके मालिक आवारा है। जो उन्हें सड़कों पर छोड़ देते हैं। वहीं गाय यदि गर्भवती होती है तो दूध की लालसा में वहीं आवारा व्यक्ति उसे ढूंढता हुआ आता है और घर लेकर जाता है। वहीं यदि पशु कोई काम नहीं आता तो उसे घर से निकाल दिया जाता है। इधर गाँव की पंचायत भी जागते नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभा रहा है। वो भी एक-दो वर्षों से नहीं बल्कि आजादी के बाद से इसी औपचारिकता का दौर लगातार जारी है। ग्राम वासी समझ ही नहीं पा रहे है कि इस समस्या का कोई समाधान भी है या फिर यह समस्या अखबारों की कतरने ही बनती रहेगी। यह समस्या कोई सिर्फ हमारे गाव की नही बल्कि हमारे जालोर जिले की नहीं है। बल्कि राजस्थान के हर शह...