आखिर सीएम राजे ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव तक का डीजीपी बना दिया – ओपी गल्होत्रा को सौंपी राजस्थान पुलिस की कमान।

30 नवम्बर को राजस्थान के तीन आईपीएस अधिकारियों की वरिष्ठता को दरकिनार कर जूनियर आईपीएस ओपी गल्होत्रा को नया डीजीपी नियुक्त कर दिया गया है। गल्होत्रा को अजीत सिंह के स्थान पर नियुक्ति दी गई है। अजीत सिंह चार माह डीजीपी रहने के बाद तीस नवम्बर को सेवानिवृत हो गए।

हालांकि नवदीप सिंह, कपिल गर्ग और सुनील कुमार मेहरोत्रा सीनियर थे, लेकिन सीएम वसुंधरा राजे की पसंद होने की वजह से जूनियर गल्होत्रा को डीजीपी बनाया गया है। गल्होत्रा की सेवानिवृत्ति 2019 में होगी यानि वे अगले वर्ष होने वाले विधानसभा तथा फिर मई 2019 में होने वाले लोकसभा के चुनाव तक डीजीपी रहेंगे।

हालांकि गल्होत्रा अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के पद पर कार्यरत थे, लेकिन 30 नवम्बर को गल्होत्रा की पदोन्नति डीजीपी के पद पर कर दी गई इसके साथ ही उनके सीनियर सुनील मेहरोत्रा को भी डीजी के पद पर पदोन्नत किया गया है। पहले यह माना जा रहा था कि अजीत सिंह के कार्यकाल को विस्तार दिया जाएगा, लेकिन केन्द्र सरकार की ओर से हरी झंडी नहीं मिलने की वजह से अजीत को निर्धारित समय पर ही सेवानिवृति देनी पड़ी।

नई डीजीपी गल्होत्रा ने मीडिया से कहा कि पुलिस के जवानों के वेलफेयर के लिए अपने कार्यकाल में जो कुछ भी कर सकते हैं करेंगे। जवानों को साप्ताहिक अवकाश के सवाल पर गल्होत्रा ने कहा कि इस संबंध में आवश्यकता होने पर राज्य सरकार से भी वार्ता की जाएगी। उन्होंने माना कि जवानों का काम बेहद कठिन होता है इसलिए उन्हें पर्याप्त सुविधाएं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाए रखने की होगी। गल्होत्रा ने 30 नवम्बर की शाम को ही डीजीपी का पद संभाल लिया। इससे पहले अजीत सिंह को शानदार विदाई दी गई।

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