ख़बर आपणे गाँव की :- जरा संभल कर यहाँ हमारा राज है भाई साहब

बाकरा गाँव के मुख्य चोहटे में आप पैदल या फिर दुपहिया वाहन में जा रहे हैं तो पूरी सावधानी रखे, क्योंकि सड़कों पर एक मूक इशारा आपको खबरदार रखेगा कि जरा संभल कर, यहां हमारा राज है। यही हकीकत है की है, 
जहां पर इस चौहटा और मुख्य मार्ग पर आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है। हालांकि इन मूक पशुओं को आवारा कहना भी उचित नहीं है। इन रास्तों पर घूमने वाली गाय और बछड़े आवारा नहीं है, बल्कि उनके मालिक

आवारा है। जो उन्हें सड़कों पर छोड़ देते हैं। 
वहीं गाय यदि गर्भवती होती है तो दूध की लालसा में वहीं आवारा व्यक्ति उसे ढूंढता हुआ आता है और घर लेकर जाता है। वहीं यदि पशु कोई काम नहीं आता तो उसे घर से निकाल दिया जाता है। इधर गाँव की पंचायत भी जागते नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभा रहा है। वो भी एक-दो वर्षों से नहीं बल्कि आजादी के बाद से इसी औपचारिकता का दौर लगातार जारी है। ग्राम वासी समझ ही नहीं पा रहे है कि इस समस्या का कोई समाधान भी है या फिर यह समस्या अखबारों की कतरने ही बनती रहेगी। यह समस्या कोई सिर्फ 
हमारे गाव की नही बल्कि हमारे जालोर जिले की नहीं है। बल्कि राजस्थान के हर शहर और हर गाँव की है।

हर वक्त दुर्घटना का रहता है खतरा
सड़कों पर इन दिनों आवारा पशुओं के कारण स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। सड़कों के बीच विचरण होने से हर वक्त दुर्घटना का खतरा रहता है। लेकिन इस समस्या का कोई स्थाई 

समाधान ही नजर नहीं आ रहा है।
सबसे बड़ी दुःख की बात तो यह है कि इस मुख्य चौहटा पर जैनो का अधिक प्रवासी होने के नाते विवाह , सगाई, मुर्तुय (लोकासर ) व अनेको उत्सवों के कारण बाहर से आने वाले मेहमानों व वाहनों का दिन रात जमावड़ा चलता रहता है 
इस जमावड़े के बीच मे होकर निकले के लिए बहुत मुस्किलो ओर इन आवारों पशुओं का सामना करना भी मुश्किल पड़ता है और बाहर से पधारे हुऐ मेहमानों  का दुर्घटनाओं का डर हमेसा ग्राम वासियो सताता रहता है ना जाने हमारे गाँव में आने वालों के साथ कही अनहोनी हो ना सके और यही समस्या बुजुर्गों में भी रहती है अधिक परेशानी
सड़कों पर  पशुओं के विचरण से सबसे अधिक परेशानी बुजुर्ग लोगों को होती है। कई बार बुजुर्ग चोटिल हो जाते हैं। वहीं बीच चौराहे से गुजरने में भी बुजुर्गों को काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। वहीं बच्चों और महिलाओं को भी परेशानी का सामना करना पड़ता हे।


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