राजपुरोहित समाज में आज से नशा व दहेज पर प्रतिबंध, मृत्यु भोज भी बंद , समाज मे साही खुशी , समाज बोला करेंगे वसनो का पालन

बाकरा गाँव:- राजपुरोहित समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए ब्रह्मधाम आसोतरा में समाज हित में बड़े निर्णय लिए गए हैं। रविवार व सोमवार को आयोजित दो दिवसीय महाअधिवेशन में दहेज, नशा मुक्ति व शादी विवाह के अवसर पर किए जाने वाले दिखावे और आडंबरों को दूर कर समाज की नई दिशा तय की गई। ब्रह्मधाम आसोतरा के गादीपति ब्रह्म ऋषि तुलसाराम महाराज एवं उनके परम शिष्य डॉ. वेदांताचार्य ध्यानाराम महाराज के सानिध्य में राजपुरोहित समाज के 2 हजार से अधिक गांवों के चुने हुए 10 हजार से अधिक प्रतिनिधियों की उपस्थिति में यह संकल्प लिया। खास बात यह है 
कि इस महाधिवेशन से पहले ही राजपुरोहित समाज के कई परिवारों ने दहेज में रखे लाखों रुपए वापस लौटकर समाज के सामने अनूठी मिसाल पेश की थी। इतना ही नहीं, पिछले तीन महीनों में राजपुरोहित समाज के 30 से अधिक परिवारों ने अपने बेटे-बेटियों की शादी में न तो दहेज दिया और न ही लिया है। इसी का नतीजा रहा कि इस महाधिवेशन में मृत्यु भोज को पूर्ण रूप से बंद किया गया। इसके स्थान पर सिर्फ गंगा प्रसादी का आयोजन करने का निर्णय लिया गया। साथ ही सगाई के अवसर पर होने वाले अनावश्यक खर्च को कम करने का भी प्रस्ताव लिया गया। 

ब्रह्मधाम आसोतरा में आयोजित महाधिवेशन में समाज हित में लिए बड़े निर्णय, राजपुरोहित समाज के बाहुल्य वाले प्रदेशों के प्रतिनिधि हुए शरीक 
राजपुरोहित समाज एक नजर 

प्रदेशभर में राजपुरोहित समाज की जनसंख्या 25 से 30 लाख हैं। 
पाली, जालोर व सिरोही में करीब 500 गांव राजपुरोहित बाहुल्य हैं। साथ ही 1 हजार गांवों में भी राजपुरोहित समाज के लोग निवास करते हैं। 
महाधिवेशन से पहले 1 साल तक राजपुरोहित समाज के बाहुल्य गांव में चलाया जागरूकता अभियान। इस अभियान से गांव में प्रत्येक 50 घरों पर एक प्रतिनिधि को चुना गया। 
संतों के सानिध्य में हुआ पूरा हुआ महाधिवेशन 
ब्रह्मधाम आसोतरा में गादीपति संत तुलसाराम महाराज के साथ राजपुरोहित समाज के विभिन्न पीठों के संतों की मौजूदगी में 2 दिन तक समाज सुधार को लेकर चर्चा विभिन्न सत्रों में चली। इन चर्चाओं में समाज में व्याप्त बुराइयों को लेकर सभी से सुझाव मांगे गए। इसके बाद में इन सुझावों पर चर्चा हुई। इसके बाद में सर्वसहमति से इन सभी प्रस्ताव को पारित कर समाज सुधार की अलग ही मिसाल पेश की गई। महाधिवेशन में महामंडलेश्वर निर्मलदास महाराज, ब्रह्मचारी शंकरस्वरूप महाराज, रवि धाम आश्रम के सत्यानंद महाराज, बालकदास महाराज, डंडाली के चेतनानंद सरस्वती, बालकदास महाराज, जोड़मठ के परशानंद महाराज, दंडी स्वामी देवानंद सरस्वती कालिंद्री समेत कई समाज के कई संत और समाज के लोग मौजूद थे। 

इन 5 मुद्दों पर बनी सहमति, सर्व सम्मति से लिया निर्णय

1. नशा मुक्ति : समाज के किसी भी कार्यक्रम समारोह, सभा में जाजम पर या अलग से कमरे में जाकर अफीम डोडा का सेवन प्रतिबंधित कर दिया गया है। 
2. मृत्यु भोज : समाज में किसी के निधन के बाद अन्य किसी नाम से न्यात नहीं होगी। साथ ही जीवित न्यात का आयोजन भी नहीं होगा। अब सिर्फ डांगरी रात से पूर्व सादा भोजन ही होगा। उसमें भी मिठाई का प्रयोग नहीं होगा। गंगा प्रसादी पर भी सादा भोजन बनाया जाएगा। 
3. सगाई पर नारियल व सिर्फ 11 रुपए : सगाई दस्तूरी में सिर्फ नारियल व लड़के को हाथ में सिर्फ 1100 रुपए दे सकेंगे। किसी प्रकार के कपड़े गिफ्ट आदि पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। वर पक्ष की तरफ से दिए जाने वाले गिफ्ट आइटम पर भी पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहेगा। 

4. दहेज में अब दिखावा नहीं : शादी समारोह में अनावश्यक खर्च नहीं किया जाएगा। बारातियों को गिफ्ट भी नहीं दिए जाएंगे। उनको सिर्फ शगुन के रूप में 11 रुपए दिए जा सकते हैं। साथ ही वर पक्ष की तरफ से समारोह के दौरान ड्राई फूड से लेकर अन्य विभिन्न प्रकार की सामग्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। 


5. केंद्रीय समिति सुलझाएगी विवाद : शादी के बाद में लड़के और लड़कियों के आपसी मनमुटाव व परिवार की वजह से होने वाले विवादों को हल करने के लिए ब्रह्मधाम आसोतरा ट्रस्ट की ओर से कदम उठाए जाएंगे। पहले गांव स्तर पर इसके बाद ब्रह्मधाम के निर्देशन में एक केंद्रीय समिति का गठन किया जाएगा, जो विवादों के समाधान का प्रयास करेगी।कमेटी में महिला प्रतिनिधियों को भी स्थान दिया जाएगा

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