इस हिन्दू भाई के लिए लक्की है यह मुस्लिम बहन, 30 साल से सगे भाई-बहन की तरह हैं साथ

मजहब नहीं सिखाता आपस बैर रखना'... इकबाल की यह कविता सीकर जिले के फतेहपुर कस्बे में चरितार्थ हो रही है। यहां हिन्दू-मुस्लिम का भाई-बहन का रिश्ता मिसाल बना हुआ है। इसी सोमवार को यह रिश्ता फिर एक बार तब चर्चा में आया जब हिन्दू भाई अपनी इस मुस्लिम बहन के घर भात भरने पहुंचा। .

ऐसे बने भाई-बहन और निभाते गए हर रस्में


गांव हरसावा निवासी हरदयाल ढाका ने फतेहपुर निवासी हाजण बिस्मिला पत्नी गुलाब खां को धर्म की बहन बना रखा है।
सीधे साधे स्वभाव के हरलाल पढ़े लिखे नहीं हैं, मगर रिश्तों को निभाना बखूबी जानते हैं।
हाजण बिस्मिला भी अपने सगे भाई की तरह हरलाल से स्नेह रखती है।
हर रक्षाबंधन पर हरलाल की कलई पर बहन बिस्मिला की राखी भी सजती है।
दोनों का रिश्ता करीब 30 साल पुराना है। दोनों ही आज भी इसे बड़ी शिद्दत निभा रहे हैं।
हरलाल करीब 30 साल पहले बिस्मिला के घर मजदूरी करने के लिए आए थे। तब उन्होंने इसे बहन बनाया था।
-बिस्मिला को बहन बनाने के कुछ समय बाद हरलाल विदेश चले गए और इनकी आर्थिक स्थिति ठीक हो गई।
इसका श्रेय हरलाल अपनी इसी बहन को देते हैं और कहते हैं कि बहन बिस्मला उनके लिए भाग्यशाली है।


चार बेटा-बेटियों की शादी में भरा भात


बिस्मिला के तीन लड़कोंं अयूब खां, महबूब खां व असलम खां और एक बेटी की शादी में हरदयाल ने भात भरा। गांव के सैंकड़ों लोगों को भी भात में अपने साथ लेकर आए। सोमवार को बिस्मिला की पोती की शादी में भी हरदयाल ने इस परंपरा को बढ़ाए रखा।



भात भरके मिला सुकून

भई-बहन के इस रिश्ते पर हरलाल व बिस्मिला की सोच समान है। दोनों कहते हैं कि मजहब हमें बैर रखना नहीं सिखाता। जाति-धर्म तो हम सब लोगों को बांटने के लिए बनाए गए हैं, लेकिन इनके नाम पर हमें द्वेषता नहीं रखनी चाहिए। वहीं भात में आए ग्रामीणों ने बताया कि यहां भात भरने आते हैं तो उन्हें भी सुकून मिलता है

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