कम पैसे में कीजिए अनार की खेती, ऐसे हर साल होगी लाखों में कमाई

बाकरा गाँव ! कम समय और पैसों में ज्‍यादा कमाई का सपना हर किसी का होता है। लेकिन देश में किसानों की बात करें तो पहली नजर में ऐसा मुश्किल नजर आता है। ऐसे में जरूरी यह है कि ऐसी फसल या बिजनेस पर ध्‍यान दिया जाए, जिसमें खर्च कम हो और लंबे समय तक के लिए कमाई सुनिश्चित हो सके। अनार की खेती ऐसा ही काम है।


बन रहा है कमाई का जरिया

महाराष्‍ट्र, उत्‍तराखंड, हिमाचल और मध्‍य प्रदेश, राजस्थान  जैसे राज्‍यों में अनार की खेती से लाखों तक की कमाई हो रही है। दिलचस्‍प बात यह है कि इसके लिए ज्‍यादा खर्च भी नहीं करने की जरूरत है।

मार्केट में अनार की है डिमांड



भारतीय मार्केट में अनार की अहमियत और कीमत से हर कोई वाकिफ है। ऊंची कीमत होने के बावजूद बीमारी से लेकर त्‍योहार तक में अनार का इस्‍तेमाल होता है। वहीं जूस मार्केट में करीब अनार का 70 फीसदी तक इस्‍तेमाल हो रहा है।

कितना आता है खर्च


अनार की खेती को एक एकड़ खेत के मानक से समझा जा सकता है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB) के मुताबिक 1एकड़ यानी कुल 43,560 वर्ग फुट जमीन पर अनार की खेती में कुल खर्च करीब 1,75,000 रुपए होते हैं। इसमें मजदूरी, खेत तैयारी, खाद आदि शामिल है।

आंकड़ों से समझें पूरी लागत (प्रति एकड़) ...


खेती पर खर्च -  32000 रुपए
सिंचाई पर खर्च  – 45000 रुपए
छिड़काव पर खर्च – 20000 रुपए
इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर – 45000 रुपए
लैंड डेवलेपमेंट – 33600 रुपए
कुल - 1,75,000 रुपए

लंबे समय तक कैसे मिलता है फायदा

अनार का पौधा तीन-चार साल में पेड़ बनकर फल देने लगता है और एक पेड़ करीब 25 साल  तक फल देता है। एक अनुमान के मुताबिक अगर अच्‍छी खेती की गई है, तो पौधा लगाने के 5वें साल में प्रति टन 4 टन प्रति एकड़ की पैदावार होती है, जबकि 8वें साल में 7 टन प्रति एकड़ तक की पैदावार हो जाती है।

अनार की किस्‍मों के बारे में



अनार की प्रमुख किस्में
कंधारी: इसका फल बड़ा और अधिक रसीला होता है,लेकिन बीज थोड़ा सा सख्त होता है। देखने में खूबसूरत होने के कारण इसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में व्यावसायिक तौर पर उगाने के लिए उपयुक्त माना जाता है।
भगवा: यह निचले क्षेत्रों के लिए अधिक उपयुक्त है और देश में पैदा होने
वाले अनार का 90 फीसदी यही किस्म उगाई जा रही है। इसके फल केसरी रंग और साइज में छोटे होते हैं, बीज नर्म होते हैं व खाने में सबसे बढ़िया  माने जाते हैं।
गणेश: इसका फल पीला और थोड़ा पिंक होता है बीज नर्म होता है। इसके अलावा जी-137, मृदुला, जेलोर सेलेक्षन व चावला किस्में भी अनार की अच्छी फसल देने वाली हैं।

जानिए कैसे मिलता है फायदा

फल की उत्पादकता बढ़ाने के लिए दो पौधों के बीच की दूरी को कम किया जा सकता है। इसके जरिए उत्पादन करीब डेढ़ गुना हो जाता है। एक सीजन में अनार के पौधे से लगभग 80 किलो फल निकलते हैं। इस हिसाब से यदि आप अपनी फसल को बेचते हैं तो आराम से 8 से 10 लाख रुपए कमा सकते हैं। लागत निकालने के बाद भी प्रॉफिट अच्‍छी खासी हो जाती है।

आपको क्‍या करना होगा

अनार की फसल को आप देश की अलग - अलग फल मंडियों में इसे बेच सकते हैं। इसके अलावा जूस का कारोबार भी कर सकते हैं। जूस के कारोबार के लिए ज्‍यादा खर्च की जरूरत भी नहीं पड़ती है। यह मशीन आपको अच्‍छी क्‍वालिटी में ऑनलाइन 25 से 30हजार रुपए में मिल जाएगी। इसके जरिए आप जूस की दुकान भी कर सकते हैं। सेहत के लिहाज से भी यह परफेक्‍ट फसल है। यही नहीं, कईआयुर्वेदिक कंपनियां भी अनार और खरीदती हैं। अनार की खेती और उसके कारोबार से संबंधित जानकारी http://www.pomegranates.org की वेबसाइट सेमिल सकती है।

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