ऐक और गिनीज बुक में आज दर्ज हुई 112 फुट के आदियोगी भगवान शिव की मूर्ति

तमिलनाडु के कोयंबटूर के बाहरी इलाके में ईशा योग फाउंडेशन में पीएम नरेंद्र मोदी ने शिव की 'आदियोगी' मूर्ति का उद्घाटन किया था. 112 फीट ऊंची शिव की इस मूर्ति का नाम अब गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड्स में शामिल कर दिया गया है. 

आदियोगी भगवान शिव की 112 फुट की आवक्ष प्रतिमा को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने दुनिया की सबसे बड़ी आवक्ष प्रतिमा के रूप में दर्ज किया है. इस बात की जानकारी गिनीज बुक ने अपनी वेबसाइट के जरिए साझा की है. 'आदियोगी'  के नाम से बनी शिव की अर्धमूर्ति की ऊंचाई 112.4 फीट है, 24.99 मीटर चौड़ी और 147 फीट लंबी है.
इस प्रतिमा की स्थापना आदियोगी शिव के खास योगदान के सम्मान में की गई है. संस्थान के अनुसार ये मूर्ति मुक्ति का प्रतीक है. साथ ही उन्होंने बताया कि प्रतिमा उन 112 मार्गों को दर्शाती है, जिनसे इंसान योग विज्ञान के जरिए अपनी परम प्रकृति को हासिल कर सकता है. इस भव्य प्रतिमा का डिजाइन और प्राण-प्रतिष्ठा ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वसुदेव ने की है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल 24 फरवरी को तमिलनाडु में कोयंबटूर के बाहरी इलाके में स्थित ईशा योग फाउंडेशन में स्थापित आवक्ष प्रतिमा का अनावरण किया था. प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि ईशा फाउंडेशन द्वारा स्थापित प्रतिमा को देखने हर दिन हजारों लोग यहां आते हैं.


अब ईशा फाउंडेशन इस तरह की और प्रतिमाएं देश भर में लगाने की योजना बना रही है. बता दें कि ये दूसरी बार है जब फाउंडेशन का नाम गिनीज बुक में आया है. इससे पहले 17 अक्‍टूबर 2006 को फांउडेश्‍न का नाम 8.52 लाख पौधे लगाने के लिए जोड़ा गया था.


आदियोगी का भव्य चेहरा स्टील का बना है, जिसे डिजाइन करने में लगभग ढाई साल लगे. ईशा फाउंडेशन की टीम ने उसे आठ महीनों में तैयार कर दिया. आदियोगी को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री ने दुनिया भर में महायोग यज्ञ का आरंभ किया, जिसमें 10 लाख लोगों ने योग के एक सरल तरीके को कम से कम 100 लोगों को सिखाने और कम से कम 10 करोड़ लोगों के जीवन तक पहुंचाने की शपथ ली.
एक चैनल द्वारा देश के 50 सबसे प्रभावशाली लोगों में शामिल किए गए सद्गुरु एक योगी, आध्यात्मिक गुरु, दूरदर्शी और बेस्टसेलर लेखक हैं. 2017 में सद्गुरु को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.


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