पापा बने मंत्री तो ऐसे गले लग गई बेटी, सीएम राजे से नहीं बैठती पटरी
जोधपुर के सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत को आज केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। जैसे ही गजेन्द्र सिंह को मंत्री बनाए जाने की खबर उनकी बेटी को लगी तो वह खुशी के मारे अपने पापा से लिपट गई। छात्र नेता के रूप में राजनीतिक सफर शुरू करने वाले शेखावत के प्रति मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की नाराजगी जग जाहिर है, लेकिन संघ पृष्ठभूमि के कारण उन्हें मंत्री बनाया जा रहा है। पहली बार संसद बने शेखावत को हमेशा लाइम लाइट से दूर रहकर चुपचाप अपना काम करने वाला माना जाता रहा है। संघ के विभिन्न संगठनों में बरसों तक लगातार काम करने का इनाम अब उन्हें इस रूप में मिला है।
मुख्यमंत्री की नाराजगी…
सार्वजनिक समारोह में शेखावत ने हमेशा केन्द्र सरकार की उपलब्धियों को ही गिनाया है। उन्होंने कभी राज्य सरकार की उपलब्धियों का जिक्र नहीं किया। इसे लेकर जोधपुर में एक समारोह के दौरान मुख्यमंत्री सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी जता चुकी हैं। मुख्यमंत्री ने उन्हें ताना मारते हुए कहा था कि केन्द्र के समान राज्य सरकार भी बेहतरीन काम कर रही है। ऐसे में सांसद को इनके बारे में भी बताना चाहिये। लेकिन शेखावत के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया। इसके बाद शेखावत के करीबी एक होटल व्यवसायी के यहां नगर निगम की कार्यवाही से राजनीतिक हलकों में यह संदेश गया कि वे मुख्यमंत्री की गुड बुक में नहीं है।
इसके बाद मुख्यमंत्री के करीबी लोगों ने उनसे दूरी बनाना शुरू कर दिया। यही कारण रहा कि राज्य सरकार के कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार के लिए लगाए जाने वाले पोस्टरों में से उनका चेहरा नदारद हो गया। साथ ही ऐसे समारोह से उनकी अनुपस्थिति भी चर्चा का विषय रही।
सार्वजनिक समारोह में शेखावत ने हमेशा केन्द्र सरकार की उपलब्धियों को ही गिनाया है। उन्होंने कभी राज्य सरकार की उपलब्धियों का जिक्र नहीं किया। इसे लेकर जोधपुर में एक समारोह के दौरान मुख्यमंत्री सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी जता चुकी हैं। मुख्यमंत्री ने उन्हें ताना मारते हुए कहा था कि केन्द्र के समान राज्य सरकार भी बेहतरीन काम कर रही है। ऐसे में सांसद को इनके बारे में भी बताना चाहिये। लेकिन शेखावत के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया। इसके बाद शेखावत के करीबी एक होटल व्यवसायी के यहां नगर निगम की कार्यवाही से राजनीतिक हलकों में यह संदेश गया कि वे मुख्यमंत्री की गुड बुक में नहीं है।
इसके बाद मुख्यमंत्री के करीबी लोगों ने उनसे दूरी बनाना शुरू कर दिया। यही कारण रहा कि राज्य सरकार के कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार के लिए लगाए जाने वाले पोस्टरों में से उनका चेहरा नदारद हो गया। साथ ही ऐसे समारोह से उनकी अनुपस्थिति भी चर्चा का विषय रही।
संघ परिवार से जुडऩे का मिला लाभ
वर्ष 1992 में जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की तरफ से अध्यक्ष पद पर चुने जाने के बाद से शेखावत लगातार संघ से जुड़े विभिन्न संगठनों में सक्रिय रहे। सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों के बीच काम करने वाले संघ के एक संगठन सीमान्त लोक संगठन में रहकर उन्होंने लगातार काम किया। साथ ही जोधपुर की छात्र राजनीति में वे एबीवीपी के माध्यम से लगातार सक्रिय रहे। यही कारण रहा कि अन्य दांवेदारों को पछाड़ते हुए वर्ष 2014 में वे जोधपुर से लोकसभा का पार्टी टिकट हासिल करने में सफल रहे। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री और राजपरिवार की सदस्य चन्द्रेश कुमारी को चार लाख से अधिक वोटों से पराजित कर जीत का नया रिकॉर्ड बनाया। साथ ही उत्तर प्रदेश के चुनाव के दौरान शेखावत ने प्रधानमंत्री मोदी की चुनावी रैलियों की तैयारियों में अहम भूमिका निभाई। इन रैलियों में वे हमेशा मंच पर मोदी के साथ नजर आते रहे। वहीं आनंदपाल एनकाउंटर के पश्चात भाजपा से नाराज चल रहे राजपूत समाज को मनाने के प्रयास के रूप में शेखावत को मंत्री बनाने के रूप में देखा जा रहा है।
वर्ष 1992 में जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की तरफ से अध्यक्ष पद पर चुने जाने के बाद से शेखावत लगातार संघ से जुड़े विभिन्न संगठनों में सक्रिय रहे। सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों के बीच काम करने वाले संघ के एक संगठन सीमान्त लोक संगठन में रहकर उन्होंने लगातार काम किया। साथ ही जोधपुर की छात्र राजनीति में वे एबीवीपी के माध्यम से लगातार सक्रिय रहे। यही कारण रहा कि अन्य दांवेदारों को पछाड़ते हुए वर्ष 2014 में वे जोधपुर से लोकसभा का पार्टी टिकट हासिल करने में सफल रहे। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री और राजपरिवार की सदस्य चन्द्रेश कुमारी को चार लाख से अधिक वोटों से पराजित कर जीत का नया रिकॉर्ड बनाया। साथ ही उत्तर प्रदेश के चुनाव के दौरान शेखावत ने प्रधानमंत्री मोदी की चुनावी रैलियों की तैयारियों में अहम भूमिका निभाई। इन रैलियों में वे हमेशा मंच पर मोदी के साथ नजर आते रहे। वहीं आनंदपाल एनकाउंटर के पश्चात भाजपा से नाराज चल रहे राजपूत समाज को मनाने के प्रयास के रूप में शेखावत को मंत्री बनाने के रूप में देखा जा रहा है।
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