राजस्थान से मोदी की टीम में नहीं है एक भी कैबिनेट मंत्री, UPA राज में थे चार
मोदी कैबिनेट के फेरबदल और विस्तार के बाद राजस्थान में इसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. इस विस्तार में राजस्थान को गजेंद्र सिंह शेखावत के तौर पर एक कृषि राज्य मंत्री ही मिला है. प्रदेश से 25 लोकसभा और 8 राज्यसभा सांसद होने के बावजूद मोदी कैबिनेट में रविवार को एक भी कैबिनेट मंत्री नहीं है.
मोदी कैबिनेट के विस्तार से पहले राजस्थान से बनने वाले मंत्रियों को लेकर जितने कयास लगाए जा रहे थे वे सब धरे के धरे रह गए. प्रदेश के किसी राज्य मंत्री का प्रमोशन नहीं हुआ. आज मोदी कैबिनेट से राजस्थान से कोई कैबिनेट मंत्री नहीं है.
राजस्थान से अब छह राज्य मंत्री हो गए हैं, लेकिन इसमें क्षेत्रीय संतुलन कहीं नजर नहीं आता. छह में से 4 मंत्री अकेले मारवाड़ से हैं, ढूंढाड़ से राज्यवर्धन सिंह राठौड़ एकमात्र मंत्री हैं.
मारवाड़ से चार मंत्री हो गए हैं और चारों सटे हुए जिले हैं, बीकानेर से अर्जुनराम मेघवाल, नागौर से सीआर चौधरी, जोधपुर से पीपी चौधरी और जोधपुर से गजेंद्र सिंह शेखावत.
प्रदेश के हाड़ौती, मेवाड़-बागड़ क्षेत्र और पूर्वी राजस्थान से केंद्र में कोई मंत्री नहीं है. जातीय समीकरणों के हिसाब से देखें तो राजस्थान के छह राज्य मंत्रियों में दो राजपूत, एक जाट, एक सिरवी, एक दलित और एक वैश्य समुदाय से मंत्री है.
यूपीए राज में राजस्थान से चार चार कैबिनेट मंत्री हुआ करते थे. उस दौर में राजस्थान से क्षेत्रीय संतुलन भी था. यूपीए राज में सीपी जोशी, शीशराम ओला, चंद्रेश कुमारी और आंनद शर्मा कैबिनेट मंत्री थे, तो वहीं भंवर जितेंद्र सिंह, लालचंद कटारिया, नमोनारायण मीणा राज्य मंत्री थे.
महादेव सिंह खंडेला की जगह लालचंद कटारिया को मंत्री बनाया गया था. राजनीतिक हलकों में मोदी कैबिनेट में राजस्थान के प्रतिनिधित्व की यूपीए राज से तुलना कर सवाल उठाए जा रहे हैं. हालांकि राजस्थान का प्रतिनिधित्व छह मंत्रियों का है, लेकिन इसमें न क्षेत्रीय संतुलन है न भारी भरकम मंत्रालय. भाजपा नेता भी दबी जुबान से इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि राजस्थान को उम्मीदों के मुताबिक नहीं मिला.
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