राजस्थान का सिंघम बना साउथ में धीरन, बहादुरी को मिला 70MM का पर्दा
– बावरिया गैंग के खात्मे पर फ़िल्म बनने पर इन दिनों सुर्ख़ियो में
-बाड़मेर के पहले डीजीपी जांगिड़ तमिलनाडू में कार्यरत
-बाड़मेर के पहले डीजीपी जांगिड़ तमिलनाडू में कार्यरत
बाकरा गाँव:- राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात समेत 8 के करीब राज्यो में 50 से अधिक हत्याओं औऱ लूट की जघन्य वारदातों को अंजाम देने वाली राजस्थान के भरतपुर की बावरिया गैंग 10 साल तक आंतक का दूसरा नाम थी। भरतपुर की कुख्यात इस ओमा बावरिया गैंग का सफाया करने वाले जांबाज पुलिस अधिकारी और वर्तमान में डारेक्टर जनरल ऑफ पुलिस तमिलनाडु सांगाराम जांगिड़ पर दक्षिण फिल्म इंडस्ट्री ने फिल्म बनाई है। यह फिल्म भरतपुर की कुख्यात बावरिया गैंग खात्मे की रीयल स्टोरी पर आधारित है।
धीरन’ नाम से बनी फिल्म 17 नवम्बर को रिलीज हुई है। बाड़मेर जिले के पहले आईपीएस औऱ वर्तमान में तमिलनाडु के डारेक्टर जनरल ऑफ पुलिस सांगाराम जांगिड़ के बावरिया गैंग के सफाये पर बनी फिल्म पर जांगिड़ से बाड़मेर यात्रा के दौरान #संवाददाता माधुसिंह द्वारा तफशील से की गई बातचीत में उन्होंने बताया कि बात वर्ष 1995 से 2005 तक की है। इन सालो के दौरान तमिलनाडु सहित देश के आठ राज्यों राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और उत्तरप्रदेश में आतंक का पर्याय बनी ओमा बावरिया गैंग । इस गैंग ने 50 से अधिक लूट और हत्या की जघन्य घटनाओं को अंजाम दिया। इन घटनाओं में इस गैंग की क्रूरता से हर किसी की रूह तक कांप जाती थी। इनके लूट और हत्या के बाद गायब हो जाने के बाद सुराग तक नही छोड़ने के तरीकों से सभी राज्यो की पुलिस जहाँ हैरान थी वही लोगो मे इनका ख़ौफ़ घर कर गया था। ओमा बावरिया गैंग की सबसे बड़ी गलती तमिलनाडु के पूर्व मंत्री और तत्कालीन विधायक सुदर्शन के घर लूट और उनकी हत्या रही।
इस मामले की जांच तत्कालीन कमिशनरेट के कमिश्नर सांगाराम जांगिड़ को मिली। बिना किसी पुख्ता जानकारी और बिना किसी लीड के सांगाराम जांगिड़ ने अपनी जांच शुरू की। बकौल सांगाराम जांगिड़ यह घटनाक्रम 1995 से 2005 के बीच का है। यहां एक विधायक की हत्या हो गई थी। उस समय तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश सहित आठ राज्यों में कई हत्याएं हुई। मुझे इस केस की जिम्मेदारी मिली। जांच के दौरान हमें एक राजस्थानी जूती मिली। इसे देखते ही मुझे अंदाजा हो गया कि यह मामला कहां से ट्रेस हो सकता है। फिर इस मामले को लेकर दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान में तलाश करते रहे। भरतपुर के रूपावास में लक्ष्मण बावरिया ट्रेस हुआ और इसके बाद आगरा जेल में एक संदिगध का फिंगर प्रिंट मैच हुआ, यह वही था जो पूर्व मंत्री, और विधायक सुदर्शन की हत्या और उनके घर पर लूट के दौरान मौजूद था। एक क्लू मिलने और आगरा से तमिलनाडु लूट में शामिल को हिरासत में लेने के बाद फिर एक-एक कर गैंग के सदस्य पकड़ में आते गए। दो कुख्यात अपराधियों का एनकाउंटर मैने मेरठ के पास किया था। तेरह को गिरफ्तार किया गया। इसमें से दो को फांसी और ग्यारह को उम्रकैद हुई।
आंतक का पर्याय बन चुके ओमा बावरिया गैंग को बिना किसी सुराग के खत्म करने वाले पुलिस अधिकारी और अब चैन्नई पुलिस डीजीपी सांगाराम जांगिड़ ने गैंग का सफाया किया था। सांगाराम बाड़मेर जिले के कवास गांव के निवासी है। साल 1995-2005 के बीच बावरिया गैंग ने 50 के करीब हत्याएं और हाईवे पर लूट की कई वारदातों को अंजमा दिया था। इस गैंग को खत्म करने का जिम्मा आईपीएस सांगााराम जांगिड़ को मिला था। जांगिड़ के नेतृत्व में हुई कार्रवाई में गैंग के 13 सदस्य गिरफ्तार किए गए थे और पुलिस ने दो एंकाउंटर भी किए। बावरिया गैंग खत्म करने के साहसिक कार्य के लिए सांगाराम को राष्ट्रपति गैलेंट्री अवार्ड प्रदान किया गया।डेढ़ साल तक राजस्थान , हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और महाराष्ट्र में केस को सुलझाने के लिए अपनी टीम के साथ प्रयास कर सफलता पाने वाले सांगाराम जांगिड़ अपनी टीम के साथ साथ डीजीपी ए एस गिल,आई जी ओपी ग्लोत्रा,भरतपुर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक एसपी राजीव शर्मा, धौलपुर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक हेमन्त प्रियदर्शी, इस्पेक्टर महावीर सिंह, सुखवीर सिंह के साथ का शुक्रिया अदा करना नही भूलते। उनके मुताबित बहुत मुश्किल था ऑपरेशन ,लेकिन मेहनत रंग लाई।
डीजीपी सांगाराम जांगिड़ का यह काबिल ए तारीफ औऱ साहसिक कार्रवाई अब फिर सुर्खियों में है। इनके इस पूरे ऑपरेशन पर बनी फिल्म धीरन जोकि दक्षिण फिल्म इंडस्ट्री की ओर से बनाई गई फिल्म तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश व तेलंगाना में प्रदर्शित हुई है। इस फिल्म को हिन्दी में डब किया जाएगा और अलग नाम से रिलीज की जाएगी। अपने ऑपरेशन के डेढ़ साल को रुपहले पर्दे पर देखना बहुत यादगार लगा श्री जांगिड़ को। बकौल जांगिड़ अद्भुत अनुभव था खुद के काम को 70 एम एम के पर्दे पर देखना।
आंतक का पर्याय बन चुकी ओमा बावरिया की गैंग भरतपुर रूपावास से जुड़ी थी। इसके कारण फिल्म का फिल्मांकन भी भरतपुर, बाड़मेर व जैसलमेर में हुआ है। फ़िल्म में साउथ के ख्यातनाम अभिनेता कार्तिक सांगाराम जांगिड़ के किरदार को अदा कर रहे है और फ़िल्म को युवा डारेक्टर विनोथ ने निर्देशित किया है। सांगाराम जांगिड़ के मुताबित थिरन का स्पेशल प्रीमियर में उन्हें बतौर विशिष्ठ अतिथि बुलाया गया यह उनके लिए यादगार था।
लोग अमूमन फिल्मों से प्रेरणा लेते है और कुछ बनना चाहते है उनके किरदारों को देख कर, लेकिन मरुधरा की पहली शख्सियत सांगाराम जांगिड़ है जिनकी जिंदगी के कर्मठ औऱ जुझारू डेढ़ साल अब 70 एम एम के रुपहले पर्दे पर है। अपने आप मे यह न केवल हर बाड़मेर के बाशिंदे के लिए बल्कि हर राजस्थानी के लिए फक्र की बात है। हम सभी दिल से सलाम करते है डारेक्टर जनरल ऑफ पुलिस तमिलनाडु और बाड़मेर के जाए जन्मे सांगाराम जांगिड़ को।
पद में ऊंचे लेकिन पहनावा राजस्थानी
बहुत ही कम देखने को मिलता है कि जब कोई बड़े ओहदे पर बैठा हुआ अधिकारी घर से आम लोगों की तरह निकलता हो। एक कोई छोटे से छोटा नेता या अधिकारी अपने पद को दिखाने और जनता में अपनी पैंठ बनाने के लिए पूरे ताव के साथ चलते हैं लेकिन चेन्नई के डीजीपी और बाड़मेर निवासी सांगा राम जागिंड के लिए यह बातें मायने नहीं रखती हैं।
डीजीपी सांगा राम जागिंड बहुत ही साधारण तरीके से वे इन दिनों अपने गाँव में छुट्टिया मना रहे है. इस दौरान डीजीपी के गाँव में होने की खबर पर आसपास के लोग उनसे मिलने पहुंचते है तो उनके साथ सेल्फिया इस समय सोशल साईट पर धूम मचाई हुई है.
इतने बड़े अधिकारी होकर भी एक साधारण व्यक्ति के तरह अपने खेत में लगाए पेड़ पोधो की देखरेख करना और इस बिच हर किसी से एक साधारण व्यक्ति की तरह मुलाक़ात करना ये अपने आप में चकित कर देने वाली बात है।
डीजीपी की इस दिनों वायरल हो रही तस्वीरों ने लोंगों को यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया होगा कि आदमी कितना भी बड़ा हो जाए लेकिन साधारण तरीके से जीवन जीना हर किसी को आना चाहिए और उनकी साधारण मारवाड़ी वेश भूषा से ये ही ही दर्शाता है कि आदमी अपने कामों से बड़ा होता न कि पद से।
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